तिरुवाय्मोळि नूट्रन्दादि (नूत्तन्दादि) – तनियन्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः

पूरी श्रृंखला

तनियन् 1
अल्लुम् पगलुम् अनुबविप्पार् तन्गळुक्कुच्
चोल्लुम् पोरुळुम् तोगुत्तुरैत्तान् – नल्ल
मणवाळ मामुनिवन् माऱन् मऱैक्कुत्
तणवा नूऱ्ऱन्दादि तान्

जो लोग मीठे शब्दों और उनके अर्थों का आनंद लेने की इच्छा, हमेशा रात और दिन , रखते हैं, उनके लिए मणवळ मामुनिगळ् ने दयापूर्वक, तिरुवैमोझी का अर्थ , तमिळ् वेदं को, संक्षेप में , इस प्रबंध में 100 पाशुरामों के रूप में, दिया ।


तनियन् 2
मन्नु पुगळ् सेर् मणवाळ मामुनिवन्
तन् अरुळाल् उट्पोरुळ्गळ् तन्नुडने सोन्न
तिरुवाय्मोळि नूऱ्ऱन्दादियाम् तेनै
ओरुवादरुन्दु नेन्जे उऱ्ऱु

ओ मन ! तिरुवाय्मोळि नूत्तन्दादि नामक शहद को प्राप्त करें, जो कि अनंत काल के गौरवशाली मणवाळ मामुनिगळ् द्वारा दया से
बोला गया था, उनकी दया से, गहरे अर्थों को प्रकट करने के लिए [तिरुवाय्मोळि], और इसे लगातार पीते रहें |

अडियेन् रोमेश चंदर रामानुज दासन

आधार : http://divyaprabandham.koyil.org/index.php/2020/10/thiruvaimozhi-nurrandhadhi-thaniyans-simple/

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