आर्ति प्रबंधं – १५
श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पासुर १४ उपक्षेप मणवाळ मामुनि के अभिप्राय हैं कि वे अपने बुरे स्थिति के लिए श्री रामानुज को दोषित मानते हैं और इस स्थिति से मुक्ति केलिए प्रार्थना उन्ही से करते हैं। मणवाळ मामुनि विचार करते हैं कि ,(रामानुस नूट्रन्दादि ९१ ) के “इरामानुसन … Read more